सास-दामाद की फरारी प्रेम कहानी सुलझी GPS और IMEI से! पुलिस ने ऐसे किया लोकेट

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से एक हैरान करने वाली प्रेम कहानी सामने आई है, जिसमें एक सास अपने होने वाले दामाद के साथ फरार हो गई। बेटी की शादी से ठीक नौ दिन पहले यह जोड़ी अचानक गायब हो गई और परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पर यह कहानी तब और भी दिलचस्प हो गई जब पुलिस ने टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर दोनों की लोकेशन ट्रेस कर ली।

पुलिस ने इस मामले में जिन तकनीकों का इस्तेमाल किया, वो दिखाता है कि कैसे आज का डिजिटल युग किसी भी व्यक्ति को ट्रैक करने में सक्षम है – चाहे उसने सिम बदल लिया हो या फोन बंद कर दिया हो।

कैसे मिली लोकेशन?

पुलिस ने सबसे पहले Call Detail Record (CDR) की मदद से यह पता लगाया कि आखिरी बार किस लोकेशन से कॉल किया गया था। CDR डेटा से यह जानकारी मिलती है कि फोन ने किस मोबाइल टावर से कनेक्ट किया था, जिससे क्षेत्र की पहचान हो जाती है।

इसके बाद सेल टावर ट्रायएंगुलेशन का सहारा लिया गया। जब कोई फोन ऑन होता है, तो वो आस-पास के कम से कम तीन टावर से जुड़ता है। इन टावरों के सिग्नल की ताकत और दिशा की गणना करके पुलिस ने सटीक लोकेशन का अंदाजा लगाया।

IMEI नंबर बना मास्टरकी

IMEI (International Mobile Equipment Identity) नंबर हर फोन की यूनिक पहचान होती है। भले ही सिम बदल दी जाए, लेकिन IMEI वही रहता है। पुलिस ने IMEI नंबर ट्रैक करके डिवाइस की मूवमेंट का डेटा प्राप्त किया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि फोन कहां एक्टिव है।

GPS से मिली अंतिम लोकेशन

स्मार्टफोन्स में मौजूद GPS तकनीक ने पुलिस की मदद और आसान कर दी। फोन की लोकेशन ऑन होने की स्थिति में, बैकग्राउंड ऐप्स के जरिए भी GPS डेटा भेजा जाता है। यही डेटा पुलिस ने हासिल कर लिया।

सिम रजिस्ट्रेशन और लास्ट एक्टिविटी से मिलते हैं सुराग

अगर फोन स्विच ऑफ कर दिया गया है, तब भी सर्विस प्रोवाइडर यह बता सकता है कि आखिरी बार फोन कब और कहां नेटवर्क से जुड़ा था। साथ ही, नई सिम के रजिस्ट्रेशन से यूज़र की पहचान भी की जा सकती है।

टेक्नोलॉजी से नहीं छुप सकता कोई!

अलीगढ़ की यह प्रेम कहानी भले ही फिल्मी लगे, लेकिन पुलिस ने तकनीक का शानदार इस्तेमाल कर इसे सुलझा लिया। GPS, IMEI, CDR और ट्रायएंगुलेशन जैसे उपकरण आज की पुलिसिंग को कहीं ज्यादा सक्षम बना चुके हैं।