Biggest ‘Digital Arrest’ Scam: ग्वालियर में ‘डिजिटल अरेस्ट’ का बड़ा फर्जीवाड़ा: 26 दिन तक स्वामी से ठगे 2.52 करोड़ रुपये
- bySagar
- 17 Apr, 2025

मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक चौंकाने वाला साइबर क्राइम सामने आया है, जहां रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी सुप्रदीप्तानंद एक बड़े ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो गए। ठगों ने महज 26 दिनों में उन्हें मानसिक दबाव में रखकर करीब ₹2.52 करोड़ रुपये ऐंठ लिए।
इस मामले को राज्य का अब तक का सबसे बड़ा ‘डिजिटल अरेस्ट’ बताया जा रहा है। स्कैमर्स ने खुद को महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी बताकर वीडियो कॉल के जरिए स्वामी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसाने का झांसा दिया और धीरे-धीरे उनसे बड़ी रकम वेरिफिकेशन के नाम पर अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवा ली।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फर्जीवाड़ा 17 मार्च को शुरू हुआ। स्वामी सुप्रदीप्तानंद को नासिक से एक व्यक्ति ने वीडियो कॉल कर खुद को पुलिस अधिकारी बताया। उसने आरोप लगाया कि स्वामी का नाम एक मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सामने आया है, जिसमें कारोबारी भी शामिल हैं।
डर और दबाव की इस रणनीति के चलते स्वामी ने धीरे-धीरे उनके निर्देशों का पालन करना शुरू कर दिया। आरोपियों ने स्वामी को आश्वस्त किया कि यह एक वेरिफिकेशन प्रक्रिया है और 15 अप्रैल तक पूरा पैसा उन्हें लौटा दिया जाएगा।
आरोपियों ने ₹2.52 करोड़ की रकम 12 अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर करवाई। जब तय तारीख तक पैसे वापस नहीं आए, तब स्वामी को ठगी का अहसास हुआ और उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
प्रारंभिक जांच में पुलिस को शक है कि यह गिरोह अंतरराज्यीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर का हो सकता है। अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की ठगी का शिकार और भी लोग हो सकते हैं। फिलहाल पुलिस उन खातों का पता लगा रही है जिनमें पैसे ट्रांसफर किए गए थे।
क्या है ‘डिजिटल अरेस्ट’?
डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड की एक नई तकनीक है, जिसमें स्कैमर खुद को पुलिस अधिकारी बताकर वीडियो कॉल करते हैं। वे पीड़ित को किसी झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर मानसिक दबाव बनाते हैं और वेरिफिकेशन के नाम पर पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। इस दौरान किसी भी तरह की फिजिकल गिरफ़्तारी नहीं होती, लेकिन आर्थिक नुकसान बहुत बड़ा होता है।
जागरूक रहें, सुरक्षित रहें
इस घटना से यह साफ है कि साइबर ठग अब बेहद पेशेवर और चतुर हो चुके हैं। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह आम नागरिक हो या संत-महात्मा, इनके जाल में फंस सकता है। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी संदिग्ध कॉल से सतर्क रहें और हमेशा किसी भी कानूनी दावे की पुष्टि सीधे संबंधित अधिकारी या पुलिस स्टेशन से करें।